Bhagavad Gita Quotes in Hindi and Sanskrit on Life and Motivation

Bhagavad Gita Quotes in Hindi: This post contains 100+ Bhagavad Gita Quotes in Hindi(भगवद गीता कोट्स इन हिंदी) Bhagavad Gita(भगवद गीता) is an Sacred book of Sanatan Dharma (Hinduism). This book is in form of a poem which was recited by God Shree Krishna(कृष्ण). This is also the largest poem in ever written/recited.

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।

Bhagavad-Gita-Quotes-in-Hindi

“ज्ञानी पुरुष, ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वहीं सही मायने में देखता है”

अपने अनिवार्य काम करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है”

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और.

bhagavad gita quotes in Sanskrit

न जायते म्रियते वा कदाचिन्ना, यं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥

अर्थात् -: आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है। आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।

Bhagavad-Gita-Quotes-in-sanskrit

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥

अर्थात् -: आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते और न अग्नि इसे जला सकती है जल इसे गीला नहीं कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।

Motivational Bhagavad Gita Quotes in Hindi

क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.

तुम और मैं कहीं जन्म ले चुके हैं, तुझे याद नहीं है, मुझे सब जन्म याद है”

जीवन न तो भविष्य में है, न अतीत में है, जीवन तो बस इस पल में है।

“मनुष्य इस प्रथ्वी पर, ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही आया है, जो ज्ञान प्राप्त नहीं कर रहा है, वह मृत्यु के समान है”

Bhagavad-Gita-Quotes-in-Hindi

नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।

Bhagavad-Gita-Quotes-in-Hindi

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है.

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

“मनुष्य इस प्रथ्वी पर, ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही आया है, जो ज्ञान प्राप्त नहीं कर रहा है, वह मृत्यु के समान है”\

Bhagavad Gita Quotes on life

ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है.

जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.

क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

“इस जीवन में ना कुछ खोता है, ना व्यर्थ होता है”

Best Bhagavad Gita Quotes in Hindi

“आत्म ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह अलग कर दो, अनुशासित रहो, उठो और कार्य करो”

“जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना मर्त होने वाले के लिए जन्म लेना, इसलिए जो अपरिहार्य उस पर शोक मत करो”

जो लोग मन को नियंत्रित नही करते है, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है.जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है.

हे अर्जुन ! जो कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, में उस व्यक्ति का विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।

Karma Bhagavad Gita Quotes in Hindi

“सभी काम छोड़ कर बस भगवान में, पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ. मै तुम्हे सभी पापो से मुक्त कर दूंगा, शोक मत करो”

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

हे अर्जुन ! मन अशांत है और इसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।

Popular Bhagavad Gita Quotes in Hindi

मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए।

“केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं, जो स्वर्ग के द्वार के समान हैं”

इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है.

अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है।

वह व्यक्ति जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है, उसे अपार शांति की प्राप्ति होती है।

अपकीर्ति मृत्यु से भी बुरी है।

धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

“जो पुरुष मन से इन्द्रियों मन में वश कर के अनासक्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वहीं श्रेष्ठ है”

श्रेष्ठ पुरुष जो जो आचरण करता है, बाकी पुरुष भी वैसा वैसा ही आचरण करता है,

इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।

मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.

युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा॥
अर्थात् -: जो खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है। वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है।

प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं.

निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है.

Inspirational Bhagavad Gita Quotes in Hindi

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।

Bhagavad-Gita-Quotes-in-Hindi

समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।

मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।

जो व्यवहार आपको दूसरों से पसंद ना हो, ऐसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करें।

हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो।

मनुष्य को अपने धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए।जैसे – विद्यार्थी का धर्म विद्या प्राप्त करना, सैनिक का धर्म देश की रक्षा करना आदि। जिस मानव का जो कर्तव्य है उसे वह कर्तव्य पूर्ण करना चाहिए।

हैं अर्जुन, मुझे इन तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है और न कोई प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्रापत है, तो भी मै कर्म करते रहता हूं”

“जिस प्रकार एक ही सूर्य इस समस्त ब्रम्हांड को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार एक ही आत्मा संपूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करती है”

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.

उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा.जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.

केवल व्यक्ति का मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है।

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् ।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ॥
अर्थात् -: हे महाबाहो ! नि:सन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है। परन्तु, हे कुन्तीपुत्र! उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।

ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दीमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए.

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